Thursday 23 February 2017

वशीकरण मन्त्रो की उपयोगिता

यंत्र की तरह कुछ ऐसे किलषट मन्त्रो भी होते है जिसके केवल दशन से व्यक्ति अभीष्ट मनोरथ को प्राप्त कर लेता है। श्रीयंत्र, गायत्री मंत्र अर सर्वंकष, भैरव यंत्र ऐसे ही मंत्रों की श्रेणी में आते है। इसके दर्शन मात्र शुभ फल देने वाले कहे गए है। चमत्कारी विधाओं में मंत्र का स्थान सर्वोपरि है। मंत्र और यंत्र इसके तत्व मानें जाते हैं। मंत्र सब सिद्धियों का दुार है एवं देवताओं का आवास ग्रह है। मंत्र-यंत्र का रचनात्मक शरीर है जिस में अनुषठेय कर्मकाण्ड की सारी प्रक्रिया सी प्रकार से छुपी होती है, जिस प्रकार से नकशे में भवन तथा बीज में वक्ष छिपा रहता है। शास्त्रियों ने एस बात पर जोर दिया है कि शरीर अौर आत्मा में कोई भी भेद नहीं होता। यंत्र की पूजा किये बिना देवता खुश नहीं होते। कई- कई मंत्र ऐसे भी होते हैं जिसमें अंक सिद्धि होती है, जो बिना मंत्रों के कार्य करते हैं व उनका परिणाम आश्चर्यचकित होता है। ऐसे ही मंत्रो में बीसा और पंचदशी का नाम सर्वोपरि लिया जा सकता है। संक्षेप में,यही कहा जा सकता है कि मंत्र औऱ यंत्र दोनों ही उन्नत शक्तियों का भंडार होता है।

मंत्र 3 प्रकार के होते है- स्त्रीलिंग, पुल्लिंग तथा नपुंसक। स्वाहानता वाला मंत्र स्त्री लिंग हैं नमः अंत वाले नपुंसक, हुं फट् वाले पुलिंग जाति के हैं। वशीकरण शान्तिकरण में पुलिंग जाति के हैं। वशीकरण शान्तिकरण में पुलिंग, शूद्र क्रियाओं में स्त्री जाति तथा अनय में नपुंसक जाति में मन्त्रो का प्रयोग सिदु करें। वशीकरण मन्त्रो के प्रयोग और सिदु करने के औऱ जानकारी की लाए हमारे ज्योतिष जी इस +91-7201843038 नंबर पर बात करें । 

Monday 13 February 2017

वाशीकरण मंत्र का प्रभाव और कुछ वाशीकरण मंत्र

वाशीकरण के जन्त्र यन्त्र कl ही अपप्रश स्वरूप हैं। पजाबी बोलचाल की भाषा मे मंत्र और यन्त्र को जन्तर कहते है। उर्दू या मुस्लिम बोलचाल की भाषा मे इसी यन्त्र को ताबीज कहते है। प्रागैिहासिक काल से ही मानव किसी रूप मे वाशीकरण मंत्र और ताबिज प्रयोग करता चला आ रहा है। आज तक मानव स्य सुर्य की रोशनी से ले कर बिजली चमकने, तूफान, वषा एंव बिमारी तक घटना उसे चमत्कार लगती थी। इससे डरता भी था और चाहता भी था कि किसी तरह वह इस चमत्कार के बुरे प्रभाव से बचा रहे। मानव सिर्फ अपने को ही नही वरना अपनी पत्नी, बच्चे यहां तक कि अपने पूरे समूह को तरह से तिलस्मी प्राकितिक प्रकोपो एवं अशुभ की अंशका से बचना चाहता है। अाज से 300 साल पहले प्राजीन मेसोपोटामिया में बसे लोगों का इन वाशीकरण मंत्र और ताबिजों मे बेहद विशवास था। कुछ वाशीकरण मंत्र जेसे की
.                 क्षेत्रपाल की सिदु मंत्र

ऊँ क्षं क्षेत्रपाल नम: ।
प्रयोग विधि:  उकत मंत्र का एक लाख बार जाप करने से यह मंत्र सिदु होता है। ताम्रपत्र पर क्षेत्रपाल की प्रतिमा बनाकर उस पर जलधारा दूध का प्रवाह करते हुए उकत मंत्र का जाप करना चाहिए।
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       शक्ति विनायक मंत्र

ऊँ ह्रीं ग्रीं ह्रीं

प्रयोग विधि: उकत मंत्र का पाँच लाख बार जाप करने से यह मंत्र सिदु होता है। इसके सिद्ध होने से आर्थिक उन्नति के साथ-साथ सम्मान, धन- धान्य, यश किती की सिद्धि होती है।